F

RishuDiary - Lyrics, Hinidi songs and 9xmovies

New song Lyrics and Mp3 , with Latest updates of Music every day Download Now full song from Here hindi song 9xmovies hindi film hindi movies new hindi song hindi song mp3 indian songs

Search here songs

Friday, December 20, 2019

रावण के बारे में कुछ ऐसे रोचक तथ्य जो आज तक आपको किसी ने नही बताये होंगे ? जानिए क्या है वो


“रावण” तो सिर्फ एक है दुनिया में इस नाम का कोई दूसरा व्यक्ति नही है | राम तो बहुत मिल जायेंगे लेकिन रावण (Ravana) नही | राजाधिराज लंकाधिपति महाराज रावण को दशानन भी कहते है | कहते है कि रावण लंका का तमिल राजा था | सभी ग्रंथो को छोडकर वाल्मीकि द्वारा लिखित रामायण महाकाव्य में रावण (Ravana) का सबसे प्रमाणिक इतिहास मिलता है |
हिन्दू धर्म को मानने वाले सभी लोग राम सीता और रावण के बारे में अच्छी तरह जानते होंगे फिर भी  रावण (Ravana) से जुड़े कुछ ऐसे तथ्य भी है जो शायद आपने एक साथ कही नही पढ़े होंगे | रामायण के अलग अलग भागो से संग्रहित करके आज हम आपको रावण से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों को आपके सामने पेश करेंगे जिससे पता चलेगा कि रावण (Ravana) केवल दुराचारी ही नही था बल्कि धर्म में बहुत विश्वास करता था और उसे महाज्ञानी माना जाता है |






01. रावण (Ravana) था ब्रह्माजी का पड़पौत्र

रावण के दादाजी का अनाम प्रजापति पुलत्स्य था जो ब्रह्मा जी के दस पुत्रो में से एक थे | इस तरह देखा जाए तो रावण ब्रह्मा जी का पडपौत्र हुआ जबकि उसने अपने पिताजी और दादाजी से हटकर धर्म का साथ न देकर अधर्म का साथ दिया था |

02. रावण ने ही रची थी रावण संहिता

हिन्दू ज्योतिषशास्त्र में रावण संहिता को एक बहुत महत्वपूर्ण पुस्तक माना जाता है लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि रावण संहिता की रचना खुद रावण ने की थी |रावण अपने समय का सबसे बड़ा विद्वान माना जाता है और रामायण में बताया गया है कि जब रावण मृत्यु शय्या पर लेटा हुआ था तब राम जी ने लक्ष्मण को उसके पास बैठने को कहा था ताकि वो मरने से पहले उनको राजपाट चलाने और नियन्त्रण करने के गुर सीखा सके |

03. एक बार रावण ने किया था भगवान राम के लिए यज्ञ

रामायण में एक जगह यह भी बताया गया है कि रावण में भगवान राम के लिए यज्ञ किया था | वो यज्ञ करना रावण (Ravana) के लिए बहुत जरुरी था क्योंकि लंका तक पहुचने के लिए जब राम जी की सेना ने पुल बनाना शुरू किया था तब शिवजी का आशीर्वाद पाने से पहले उसको राम जी का आराधना करनी पड़ी थी | रावण तीनो लोगो का स्वामी था और उसने न केवल इंद्र लोग बल्कि भूलोक के भी एक बड़े हिस्से को अपने असुरो की ताकत बढाने के लिए कब्जा किया था |

04. रावण (Ravana) को वीणा बजाने में थी महारत

रावण (Ravana) के कुछ चित्रों में आपने उनको वीणा बजाते हुए देखा होगा | एक पौराणिक कथा के अनुसार रावण को संगीत का बहुत शौक था उअर और वीणा बजाने में बहुत माहिर था | ऐसा कहा जाता है कि रावण वीणा इतनी मधुर बजाता था कि देवता भी उसका संगीत सुनने के लिए धरती पर आ जाते थे |

05. एक बार रावण ने बनाया था शनिदेव को भी बंदी

ऐसा माना जाता है कि रावण इतना शक्तिशाली था कि उसने नवग्रहों को अपने अधिकार में ले लिया था | कथाओं में बताया जाता है कि जब मेघनाथ का जन्म हुआ था तब रावण ने ग्रहों को 11वे स्थान पर रहने को कहा था ताकि उसे अमरता मिल सके लेकिन शनिदेव ने ऐसा करने से मना कर दिया और 12वे स्थान पर विराजमान हो गये | रावण इससे इतना नाराज हुआ कि उसें शनिदेव पर आक्रमण कर दिया था और यहा तक कि कुछ समय के लिए बंदी भी बना लिया था | रावण ये जनता था कि उसकी मौत विष्णु के अवतार के हाथो लिखी हुयी है और ये भी जानता था कि विष्णु के हाथो मरने से उसको मोक्ष की प्राप्ति होगी और उसका असुर रूप का विनाश होगा |






06. रावण के दस सिरों के पीछे है पौराणिक कथा

हमने रावण (Ravana) के 10 सिरों की कहानिया सूनी होगी इसमें दो प्रकार के मत है एक मत के अनुसार रावण के दस सिर नही थे जबकि वो केवल एक 9 मोतियों की माला से बना एक भ्रम था जिसको उसकी माता ने दिया था | दुसरे मत के अनुसार जो प्रचलित है कि जब रावण शिवजी को प्रसन्न करने के लिए घोर तप कर रहा था तब रावण ने खुद अपने सिर को धड से अलग कर दिया था जब शिवजी ने उसकी भक्ति देखी तो उससे प्रस्सन होकर हर टुकड़े से एक सिर बना दिया था जो उसके दस सर थे |

07. शिवजी ने दिया रावण को उसका नाम

शिवजी ने ही रावण को रावण (Ravana) नाम दिया था | ऐसा कथाओं में बताया जाता है कि रावण शिवजी को कैलाश से लंका ले जाना चाहता था लेकिन शिवजी राजी नही थे तो उसने पर्वत को ही उठाने का प्रयास किया | इसलिए शिवजी ने अपना एक पैर कैलाश पर्वत पर रख दिया जिससे रावण की अंगुली दब गयी हटी | दर्द के मारे रावण जोर से चिल्लाया लेकिन शिवजी की ताकत को देखते हुए उसने शिव तांडव किया था |  शिवजी को ये बहुत अजीब लगा कि दर्द में होते हुए भी उसने शिव तांडव किया तो उसका नाम रावण रख दिया जिसका अर्थ था जो तेज आवाज में दहाड़ता हो |

इसे भी पढ़े :ऐसा क्या था इस मंदिर में जो बड़े से बड़ा जहाज भी इसकी ओर खींचा चला आता था

08. एक यज्ञ जिससे हो सकती थी रावण की जीत

जब रावण(Ravana)  युद्ध में हार रहा था और अपनी तरफ से अंतिम शेष प्राणी जब वही बचा था तब रावण ने यज्ञ करने का निश्चय किया जिससे तूफ़ान आ सकता था लेकिन यज्ञ के लिए उसको पुरे यज्ञ के दौरान एक जगह बैठना जरुरी था | जब राम जी को इस बारे में पता चल तो राम जी ने बाली पुत्र अंगद को रावण का यज्ञ में बाधा डालने के लिए भेजा | कई प्रयासों के बाद भी अंगद यज्ञ में बाधा डालने में सफल नही हुआ |
तब अंगद इस विश्वास से रावण की पत्नी मन्दोदरी को घसीटने लगा कि रावण ये देखकर अपना स्थान छोड़ देगा लेकिन वो नही हिला | तब मन्दोदरी रावण के सामने चिल्लायी और उसका तिरस्कार किया और राम जी का उदाहरण देते हुए कहा की “एक राम है जिसने अपनी पत्नी के युद्ध किया और दुसरी तरह आप है जो अपनी पत्नी को बचाने के लिए अपनी जगह से नही हिल सकते ” | यह सुनकर अंत में रावण उस यज्ञ को पूरा किये बिना वहा से उठ गया था |






09. पूर्वजन्म में रावण-कुंभकर्ण थे भगवान विष्णु के द्वारपाल

रावण और कुंभकर्ण वास्तव में विष्णु भगवान के द्वारपाल जय और विजय थे जिनको एक ऋषि से मिले श्राप के कारण राक्षस कुल में जन्म लेना पड़ा था और अपन ही आराध्य से उनको लड़ना पड़ा था |राम -रावण के बातचीत में एक बार राम जी ने रावण (Ravana) को महा-ब्राहमण कहकर पुकारा था क्योंकि रावण 64 कलाओं में निपुण था जिसके कारण उसे असुरो में सबसे बुद्धिमान व्यक्ति बनाया था |

10. एक श्राप की वजह से नही कर सका रावण माता सीता को स्पर्श

ऐसा कहा जाता है कि एक बार रावण (Ravana) महिलाओं के प्रति बहुत जल्द आसक्त होता था | अपनी इसी कमजोरी के कान जब वो नालाकुरा की पत्नी को अपने वश में करने की कोशिश करता है वो स्त्री उनको श्राप ददेती है कि रावण अपने जीवन किसी भी स्त्री को उसकी इच्छा के बिना स्पर्श नही कर सकता वरना उसका विनाश हो जाएगा | यही कारण था कि रावण ने सीता को नही छुआ था |

11. जैन ग्रंथो में रावण (Ravana) को बताया है सीता का पिता

हम हमेशा पढ़ते है कि रावण ने सीता का हरण किया था जबकि जैन ग्रंथो की रामायण के अनुसार रावण सीता का पिता था जो एक हिन्दू धर्म के लोगो को बहुत अजीब बात लगती है | रावण को अपने दस सिरों की वजह से दशग्रीव कहा जाता है जो उसकी अद्भुद बुद्धिमता को दर्शाता है |

12. रावण था अपने समय का महान वैज्ञानिक और खोजकर्ता

रावण (Ravana) अपने समय का विज्ञान का बहुत बड़ा विद्वान भी था जिसका उदाहरण पुष्पक विमान था जिससे पता चलता है कि उसे विज्ञान की काफी परख थी | भारत का क्लासिकल वाद्य यंत्र रूद्र वीणा की खोज रावण ने ही की थी | रावण शिवजी का बहुत बड़ा भक्त था और दिन रात उनकी आराधना करता रहता था |


13. रावण था एक आदर्श पति और आदर्श भ्राता

रावण (Ravana) के बहुत से नाम थे जिसमे दशानन सबसे लोकप्रिय नाम था | रावण एक आदर्श भाई और एक आदर्श पति था | एक तरह उसने अपनी बहन सूर्पनखा के अपमान का बदला लेने के लिए इतना बड़ा फैसला लिया जो उसकी मौत का कारण था |दूसरा उसने अपनी पत्नी को बचाने के लिए उस यज्ञ से उठ गया जिससे वो राम जी की सेना को तबाह कर सकता था |
इसके अलावा जब कुंभकर्ण को ब्रह्मा जी से हमेशा के लिए नीदं में सो जाने का वरदान मिला था तब रावण (Ravana) ने वापस तपस्या करके इसकी अवधि को 6 महीने किया था जिससे पता चलता है कि उसको अपने भाई बहनों और पत्नी की कितनी फ़िक्र थी | भारत और श्रीलंका में ऐसी कई जगहे है जहा पर रावण की पूजा होती है |

14. लाल किताब का असली लेखक है रावण (Ravana)

कुछ लोग ऐसा मानते है कि लाल किताब का असली लेखक रावण ही था | ऐसा कहा जाता है कि रावण अपने अहंकार की वजह से अपनी शक्तियों को खो बैठा था और उसने लाल किताब का प्रभाव खो दिया था जो बाद में अरब में पायी गये थी जिसे बाद में उर्दू और पारसी में अनुवाद किया गया था |

15. एक बार रावण बाली से हो चूका था पराजित

रावण बाली से एक बार पराजित हो चूका था | कहानी इस पप्रकार है कि बाली को सूर्यदेव का आशीर्वाद प्राप्त था और रावण शिवजी से मिले वरदान के अहंकार से बाली को चुनौती दे बैठा | बाली ने शूरुवात ने ध्यान नही दिया लेकिन रावण ने जब उसको ज्यादा परेशान किया तो बाली ने रावण के सिर को अपनी भुजाओं में दबा लिया और उड़ने लगा | उसने रावण को 6 महीने बाद ही छोड़ा ताकि वो सबक सीख सके |

इसे भी पढ़े:काली माता का अध्भुत मंदिर जहा प्रसाद में मिलता है चीनी भोजन

16. रावण (Ravana) ने किया था रामेश्वरम में भगवान राम के लिए यज्ञ

राम जी को जब रावण को हरान के लिए समुद्र पार कर लंका जाना था तो जब काम शुरू करने के एक रात पहले उन्होंने यज्ञ की तैयारी की और रामेश्वरम में भगवान शिव की आराधना करने का निश्चय किया | अब जब वो सबसे शक्तिशाली व्यक्ति से युध्ह करने को जा रहे थे तो यज्ञ के लिए भी उनको एक विद्वान पंडित की आवश्कता थी | उन्हें जानकारी मिली कि रावण खुद एक बहुत बड़ा विद्वान है | राम जी ने रावण को यज्ञ के लिए न्योता भेजा और रावण शिवजी के यज्ञ के लिए मना नही कर सकता था | रावण रामेश्वरम पहुचा और उसने यज्ञ पूरा किया | इतना ही नही जब यज्ञ पूरा हुआ तब राम जी ने रावण से उसीको हराने के लिए आशीर्वाद भी माँगा और जवाब में रावण ने उनको “तथास्तु ” कहा था |






17. लंका नगरी थी उस दौर की स्वर्ण नगरी

लंका का निर्माण विश्वकर्मा जी ने किया था और जब उस पर रावण के सौतेले भाई कुबेर का कब्जा था | जब रावण तपस्या से लौटा था तब उसने कुबेर से पुरी लंका छीन ली थी | ऐसा कहा जाता है उसके राज में गरीब से गरीब का घर भी उसने सोने का कर दिया था जिसके कारण उसकी लंका नगरी में खूब ख्याति थी |

18. कई स्थानों पर आज भी होते है रावण (Ravana) की पूजा

दक्षिणी भारत और दक्षिण पूर्वी एशिया के कई हिस्सों में रावण (Ravana) की पूजा की जाती है और अनेको संख्या में उसके भक्त है | कानपुर में कैलाश मन्दिर में साल में एक बार दशहरे के दिन खुलता है जहा पर रावण की पूजा होती है | इसके अलावा रावण को आंध्रप्रदेश और राजस्थान के भी कुछ हिस्सों में पूजा जाता था |
तो मित्रो आपको इन तथ्यों के जरिये रावण (Ravana) के बारे में ओर गहराई से जानने को मिला होगा जिसमे रावण के कुछ अच्छे गुण भी था और कुछ दुर्गुण भी थे लेकिन दुर्गुणों की मात्रा जब उसमे बढ़ गयी थी तब उसका विनाश हो गया था | इसलिए इंसान को अपने दुर्गुणों को अपने से दूर रखना चाहिए ताकि रावण की तरह हमारा भी विनाश न हो | मित्रो वैसे तो सभी तथ्य अलग अलग स्त्रोतों से लिए गये जिसमे त्रुटि की सम्भावन भी हो सकती है फिर भी आपको अगर रावण (Ravana) से जुड़े तथ्य पसंद आये तो अपने विचार प्रकट करना न भूले |

इसे भी पढ़े:जाति और वर्ण में क्या अंतर है !! Difference Between Caste And Varna In Hindi

No comments:

Post a Comment

Popular Posts

Popular Posts