दुनिया की सबसे बदनसीब महिला दक्षिण अफ्रीका की सराह बार्टमैन या सारा बार्टमैन है।World's most unlucky woman Sara Bartman
एक इतनी बदनसीब महिला की उसके मरने के 192 साल बाद भी उसे कफन दफन नसीब नहीं हुआ था।
सारा बार्टमैन का जन्म 1789 में दक्षिण अफ्रीका के पूर्वी केप में हुआ था।
जब वह 2 साल की थी तभी उसकी मां का निधन हो गया और जब वह 4 साल की हुई तो उसके पिता का निधन हो गया।
सारा बार्टमैन का शरीर बेहद बेडौल था। उसके नितंब बेहद बड़े बड़े थे और जैसे-जैसे वह बड़ी हुई उसके नितंब उसके शरीर के अपेक्षा काफी बड़े होते चले गए।
क्योंकि उस वक्त साउथ अफ्रीका अंग्रेजों का गुलाम था इसलिए एक अंग्रेज विलियम डनलप को लगा कि यदि वह सारा बार्टमैन को लंदन ले जाकर इसका शो आयोजित करें तो उसे काफी कमाई होगी क्योंकि उस वक्त यूरोप में सनकी शो बेहद प्रचलित थे जिसमें अजीबोगरीब और बेडौल अंग वाले व्यक्तियों का प्रदर्शन किया जाता था और लोग टिकट लेकर ऐसे अजीबोगरीब शक्ल सूरत वाले व्यक्तियों को देखने आते थे।
लंदन में पिकाडली सर्कस में सारा बार्टमैन का पहला शो हुआ देखते ही देखते सारा बार्टमैन का शो काफी प्रसिद्ध हो गया क्योंकि उसका मालिक उसे खरीद कर लंदन में लाया था इसलिए अमीर ग्राहक अपने घरों में उसका निजी प्रदर्शन शो भी आयोजित कर सकते थे और उनके मेहमानों को उसको छूने की अनुमति थी।
रंगभेद वाले ब्रिटेन में सारा बार्टमैन के शारीरिक बेडौल का काफी मजाक उड़ाया गया और कई अखबारों में उसके बेडौल शरीर का कार्टून बनाकर मजाक उड़ाया गया।
फिर 1807 में ब्रिटिश साम्राज्य ने गुलामों के व्यापार को खत्म कर दिया उसके बाद सारा बार्टमैन के मालिक ने उसे फ्रांस के एक सर्कस वाले को बेच दिया और वह फ्रांसीसी सर्कस वाला भी उसका उसी तरह से प्रदर्शन शो आयोजित करता था।
फ्रांस में ही पेरिस में मात्र 26 साल की अवस्था में सारा बार्टमैन की स्टेज शो के दौरान ही मौत हो गई। लेकिन अफसोस देखिए कि उसके मौत के बाद भी स्टेज शो का कार्यक्रम रद्द नहीं हुआ बल्कि अनवरत चलता रहा।
लेकिन तथाकथित पढ़े लिखे प्रगतिशील और प्रबुद्ध फ्रांसीसी लोगों ने मरने के बाद भी सारा बार्टमैन के शरीर के साथ जो किया वह अपने आप में मानवता का सबसे बड़ा मजाक था जिसकी वजह से सारा बट मैन को दुनिया की सबसे बदनसीब महिला कहा जाने लगा।
मरने के बाद उसके बड़े बड़े नितंबों को प्रिजर्व करके फॉर्मलीन में बंद करके एक म्यूजियम में रख दिया गया साथ ही साथ उसके जननांगों को भी जार में फॉर्मेलिन भरकर प्रदर्शन हेतु रख दिया गया क्योंकि उसके जननांग सामान्य महिलाओं की अपेक्षा काफी बड़े थे।
इतना ही नहीं उसी म्यूजियम में सारा बार्टमैन के शरीर का प्लास्टर कास्ट भी बनाकर प्रदर्शन हेतु रखा गया।
सोचिए मरने के बाद एक महिला का इस तरह से अपमान पूरे विश्व में कहीं नहीं हुआ होगा।
फिर जब 1994 में नेल्सन मंडेला दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति बने तब उन्होंने फ्रांस सरकार के सामने सराह बार्टमैन के अंगों के अवशेष और उसके प्लास्टर कास्ट के प्रत्यावर्तन का अनुरोध किया।
नेल्सन मंडेला के अनवरत प्रयासों के बाद अंततः फ्रांसीसी सरकार सहमत हो गई और मार्च 2002 में सराह वर्टमैन के शरीर के सभी अवशेष और उसके प्लास्टर कास्ट को दक्षिण अफ्रीका को सौंप दिया गया और सराह वर्टमैन के निधन के कुल 192 साल के बाद उसके जन्म स्थान पूर्वी केप प्रांत में राजकीय सम्मान के साथ दफन कर दिया गया।
सराह वर्टमैन के ऊपर हॉलीवुड में बहुत सी फिल्में भी बनी है फिल्म ब्लैक विनस और द लाइफ एंड टाइम आफ सारा और मैन काफी सुपरहिट है
आज सराह वर्टमैन दक्षिण अफ्रीका ही नहीं बल्कि पूरे अफ्रीका में एक आइकॉन बन चुकी है।
दक्षिण अफ्रीका के एक जलपोत का नाम भी उसके नाम पर रखा गया है। साथ ही साथ 8 दिसंबर 2018 को केपटाउन विश्वविद्यालय ने अपने मेमोरियल हाल का नाम बदलकर सारा बार्टमैन हॉल करने का निर्णय लिया है
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