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Tuesday, December 24, 2019

अम्बानी परिवार के कुछ काले रहस्य जो आज तक सबसे छुपाए गए

Ambani pariwar ke kuch unsune rahsya आज हम अम्बानी परिवार के कुछ ऐसे काले रहस्य  के बड़े में बतयेंगे जो आज तक सबसे छुपाया गया कहने को तोह वो भारत ही नहीं बल्कि एशिया के सबसे अमीर आदमी है पर आज तक उनके परिवार को बहुत से रहस्य है जो सबसे छुपाये गये है


मुकेश अम्बानी एवं अनिल अम्बानी का झगड़ा और प्यार


साल 2002 में धीरुभाई अंबानी की मौत के बाद दोनों भाईयों के बीच जंग छिड़ गई थी, मगर साल 2005 में उनकी मां ने हस्ताक्षेप किया और कारोबार का बंटवारा किया. बड़े बेटे को तेल, रिफाइनरी और पेट्रोकेम बिजनेस मिला, तो छोटे बेटे के हिस्स में वित्त, इंफ्रास्ट्रक्चर, पावर और टेलिकॉम बिजनेस आया.

इसके बादा दोनों भाइयों की राह और किस्मत अलग हो गई. मुकेश जहां भारत के सबसे अमीर व्यक्ति बन गए. ब्लूबर्ग के अनुसार, उनकी दौलत $50 अरब की है. वे 27 मंजिला और 4 लाख वर्गफुट के बंगले एंटीला में बेजोड़ जिंदगी ज ..
वहीं ब्लूमबर्ग के अनुसार, अनिल अंबानी की दौलत $7.5 करोड़ की ही बची है. साल 2008 में इन कंपनियों की वैल्यू $31 अरब थी. अनिल अंबानी की कंपनियों के शेयर धाराशाई हो गए हैं. वे $13 अरब का कर्ज चुकाने के लिए जूझ रहे हैं, जिसमें उनकी टेलिकॉम कंपनी शामिल नहीं हैं.

हालांकि, हाल ही में मुकेश अंबानी ने अपने भाई को जेल जाने से बचाने के लिए $7.8 करोड़ का कर्ज चुकाया था. मगर ऐसा नहीं है कि सिर्फ मुकेश अंबानी ही अपनी संतान को आने वाले कल के लिए तैयार कर रहे हैं.

अपना कर्ज संपत्ति बेचकर कम करने की कवायद में जुटे अनिल अंबानी भी अपने 27 वर्षीय बेटे पर बड़ा दांव खेल रहे हैं. साल 2016 में जय अनमोल अंबानी को रिलायंस कैपिटल के कार्यकारी निदेशक नियुक्त किया गया था.




आयकर घोटाला के बड़े  में

आयकर विभाग की मुंबई इकाई ने कई देशों में एजेंसियों से प्राप्त जानकारी के आधार पर जांच के बाद मुकेश अंबानी परिवार के सदस्यों को 2015 के ब्लैक मनी एक्ट के प्रावधानों के तहत नोटिस दिया है.
इंडियन एक्सप्रेस  के अनुसार, बहुत ही चुपचाप उठाए गए इस कदम के तहत मुकेश अंबानी की पत्नी नीता अंबानी और उनके तीन बच्चों के नाम उनके कथित ‘अघोषित विदेशी आय और संपत्ति’ के लिए 28 मार्च, 2019 को नोटिस दिया गया.
आयकर विभाग के नोटिस के मुताबिक मुकेश अंबानी की पत्नी नीता अंबानी और उनके तीन बच्चों पर विदेश में अघोषित विदेशी और संपत्ति रखने का आरोप है.
सरकार को साल 2011 में अनुमानित तौर पर 700 भारतीय व्यक्तियों और संस्थाओं का एचएसबीसी जिनेवा में खाता होने की जानकारी मिली थी जिसके बाद आयकर विभाग ने अपनी जांच शुरू की थी.
इसके बाद इंडियन एक्सप्रेस और इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इंवेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स ने फरवरी 2015 में स्विस लीक्स नाम से एक बड़ी जांच को अंजाम दिया, जिसके तहत पता चला कि एचएसबीसी जिनेवा खाताधारकों की संख्या को 1,195 है.
इस रिपोर्ट में पहली बार यह खुलासा हुआ था कि कैसे टैक्स हैवन समझे वाले जाने वाले देशों में खुली ऑफशोर कंपनियों का संबंध 601 मिलियन डॉलर की रकम वाले एचएसबीसी जिनेवा बैंक के 14 खातों से था, जिनके तार रिलायंस ग्रुप से जुड़ते हैं.
4 फरवरी, 2019 को आयकर जांच रिपोर्ट के विवरण और 28 मार्च, 2019 को भेजे गए नोटिसों से पता चलता है कि अंबानी परिवार के सदस्य 14 संस्थाओं में से एक कैपिटल इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट के अंतिम लाभार्थी हैं, जिनके बीच में कई विदेशी और घरेलू कंपनियां हैं.
नोटिसों और मुख्य आरोपों पर रिलायंस के प्रवक्ता ने कहा, ‘किसी नोटिस मिलने सहित हम सभी आरोपों को खारिज करते हैं.’
हालांकि, मुंबई इकाई और सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस के शीर्ष अधिकारियों के बीच चले लंबे विचार विमर्श के बाद ये नोटिस भेजे गए. इसके साथ ही नोटिस भेजे जाने से कुछ दिन पहले ही अंतिम मंजूरी दी गई थी.





जानकारी के मुताबिक, ये नोटिस मुंबई के अतिरिक्त आयकर आयुक्त 3(3) के दफ्तर से भेजे गए. ये नोटिस कालाधन (अघोषित विदेशी आय एवं संपत्ति) और कर अधिनियम का प्रभाव, 2015 के तहत दिए गए.
आयकर विभाग के नोटिस में यह भी आरोप लगाया गया है कि कैपिटल इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट और इसकी अंतर्निहित कंपनी, केमैन आइलैंड्स स्थित इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी लिमिटेड के विवरण और उसमें हिस्सेदारी का खुलासा करने में अंबानी परिवार असफल रहा, जिसके वे अंतिम लाभार्थी भी थे.
नोटिस में कहा गया है कि अंबानी परिवार हरिनारायण एंटरप्राइजेज नाम की एक अन्य संस्था के अंतिम लाभार्थी थे, जिसका मुंबई का पता था.
कानून का पालन न करने का हवाला देते हुए नोटिस में कहा गया है कि 2012 के वित्त विधेयक में पेश किए गए प्रावधानों के बाद सभी संपत्ति मालिकों को सभी विदेशी बैंक खातों, ट्रस्टों के साथ-साथ वित्तीय ब्याज/अचल संपत्ति या भारत के बाहर रखी गई संपत्ति के विवरण का खुलासा करने की आवश्यकता थी. इसके साथ ही इन संपत्तिधारकों ने 2015 की ब्लैक मनी डिस्क्लोजर स्कीम का भी लाभ नहीं उठाया, जिसके तहत किसी भी विदेशी आय या संपत्ति की घोषणा करने के लिए चार महीने का समय दिया गया था.




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