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Sunday, December 8, 2019

Bhimashankar Temple in hindi ,Jyotirlinga of bhimashankar story in hindi





Bhimashankar Temple is a Jyotirlinga shrine located 50 km northwest of Khed (alias Rajgurunagar), near Pune, in India. It is located 127 km from Shivajinagar (in Pune) in the Ghat region of the Sahyadri Mountains. Bhīmāshankar is also the source of the river Bhima, which flows southeast and merges with the Krishna river near Raichur


कुंभकर्ण के बेटे भीमा राक्षस के उत्पात से देवताओं को मुक्ति दिलाने के लिए भगवान शंकर ने इसी स्थान पर उसका वध किया था।


भगवान शिव की भक्ति का प्रमुख माह श्रावण प्रारंभ हो गय गया है। पूरे माह भर भोलेनाथ की पूजा-अर्चना का दौर जारी रहेगा। सभी शिव मंदिरों में श्रावण मास के अंतर्गत विशेष तैयारियां की गई हैं। भगवान शिव के इस खास पर्व के मौके पर हम आप को बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक महत्वपूर्ण ज्योतिर्लिंग भीमाशंकर के बारे में बताने जा रहे हैं। कुंभकर्ण के बेटे भीमा राक्षस के उत्पात से देवताओं को मुक्ति दिलाने के लिए भगवान शंकर ने इसी स्थान पर उसका वध किया था। 




देवताओं ने भगवान शिव से मांगी थी मदद....

-पुणे से 110 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम की सह्याद्रि पर्वत माला में मौजूद 'भीमाशंकर मंदिर' भीमा नदी के किनारे स्थित है।
-यह नदी यहां से निकलते हुए दक्षिण पश्चिम दिशा में बहती हुई कर्नाटक के रायचूर जिले में कृष्णा नदी से जा मिलती है।
-यहां हर वर्ष महाशिवरात्री और हर महीने पड़ने वाली शिवरात्री के मौके पर भक्तों की भारी संख्या यहां दर्शन के लिए आती है।
-3,250 फीट की ऊंचाई पर स्थित यह मंदिर पूरे देश में आस्था के एक बड़े केंद्र के रूप में जाना जाता है।
- मंदिर अत्यंत पुराना और कलात्मक है यहां की मूर्तियों से निरंतर पानी गिरता रहता है। मंदिर के पीछे दो कुंड भी हैं।

पिता के वध का बदला लेना चाहता था भीमा
-हिन्दू धर्म के पौराणिक ग्रन्थ शिवपुराण में लंका के राजा रावण के भाई कुंभकर्ण के बेटे के अत्याचारों और उसके संहार की एक कथा है।
- कुंभकर्ण के पुत्र भीमा का जन्म अपने पिता की मृत्यु के बाद हुआ था। बचपन में उसे इस बात का आभास नहीं था कि भगवान राम ने उसके पिता का वध किया है।
-भीमा जैसे-जैसे वह बड़ा हुआ उसे इस बात का पता लगा। बदले की भावना में वह जलने लगा और अपने पिता की हत्या का बदला लेने का प्रण किया।
-उसे पता था कि राम से युद्ध कर जीतना आसान नहीं है। इसलिए उसने कठोर तपस्या की और ब्रह्मा जी को प्रसन्न किया। ब्रह्मा जी ने उसे विजयी होने का वरदान दिया।
- इसके बाद भीमा ने अपनी असुर शक्ति का इस्तेमाल कर लोगों को नुकसान पहुंचाना शुरू कर दिया। उसके अत्याचार से सिर्फ मानव ही नहीं देवतागण भी त्रस्त हो गए।
-चारों ओर त्राहि-त्राहि मच गई। अंततः देवताओं ने भगवान शिव से मदद की गुहार की।





महादेव ने यहीं दिलाई देवताओं को मुक्ति
-भगवान शिव ने देवताओं को उसके अत्याचार से मुक्त कराने का वादा किया और स्वयं उसका संहार करने का निर्णय लिया।
-महादेव ने जिस स्थान पर भीमा का वध किया वह स्थान देवताओं के लिए पूज्यनीय बन गया। सभी ने भगवान शिव से उसी स्थान पर शिवलिंग रूप में प्रकट होने की प्रार्थना की।
- भगवान शंकर ने देवताओं की यह अर्जी भी मान ली और उसी स्थान पर शिवलिंग के रूप में प्रकट हुए। तभी से इस स्थान को भीमाशंकर के नाम से जाना जाता है।





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