F

RishuDiary - Lyrics, Hinidi songs and 9xmovies

New song Lyrics and Mp3 , with Latest updates of Music every day Download Now full song from Here hindi song 9xmovies hindi film hindi movies new hindi song hindi song mp3 indian songs

Search here songs

Friday, November 22, 2019

यह है पवित्र कथा महाकालेश्वर की/Ujjain Mahakaleshwar Temple

नई दिल्ली। देश के अलग-अलग भागों में स्थित भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में से सबसे खास है श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग। इन्हें द्वादश ज्योतिर्लिंग में से एक कहा गया है। इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन, पूजन, आराधना से भक्तों के जन्म-जन्मांतर के सारे पाप समाप्त हो जाते हैं। वे भगवान शिव की कृपा के पात्र बनते हैं। यह परम पवित्र ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के उज्जैन नगर में है। 




यूं तो इस मंदिर का काफी महत्व है। यहां भक्तों का तांता लगा रहता है, लेकिन इस इस बात को बहुत कम लोग जानते हैं कि भगवान महालंकेश्वर ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति कैसे हुई थी?
पौराणिक कथाओं के अनुसार उज्जयिनी में राजा चंद्रसेन का राज था। वह भगवान शिव के परम भक्त थे और शिवगुणों में मुख्य मणिभद्र नामक गण राजा चंद्रसेन के मित्र थे। एक बार राजा के मित्र मणिभद्र ने राजा चंद्रसेन को एक चिंतामणि प्रदान की जोकी बहुत ही तेजोमय थी। राजा चंद्रसेन ने मणि को अपने गले में धारण कर लिया, लेकिन मणि को धारण करते ही पूरा प्रभामंडल जगमगा उठा और इसके साथ ही दूसरे देशों में भी राजा की यश-कीर्ति बढ़ने लगी। राजा के पर्ति सम्मा और यश देखकर अन्य राजाओं ने मणि को प्राप्त करने के लिए की प्रयास किए, लेकिन मणि राजा की अत्यंत प्रिय थी। इस कारण से राजा ने किसी को मणि नहीं दी। इसलिए राजा द्वारा मणि न देने पर अन्य राजाओं ने आक्रमण कर दिया। उसी समय राजा चंद्रसेन भगवान महाकाल की शरण में जाकर ध्यानमग्न हो गए।
rishudiary
जब राजा चंद्रसेन बाबा महाकाल के समाधिस्थ में थे, तो उस समय वहां गोपी अपने छोटे बालक को साथ लेकर दर्शन के लिए आई। बालक की उम्र महज पांच वर्ष थी और गोपी विधवा थी। राजा चंद्रसेन को ध्यानमग्न देखकर बालक भी शिव पूजा करने के लिए प्रेरित हो गया। वह कहीं से पाषाण ले आया और अपने घर में एकांत स्थल में बैठकर भक्तिभाव से शिवलिंग की पूजा करने लगा। कुछ समय बाद वह भक्ति में इतना लीन हो गया की माता के बुलाने पर भी वह नहीं गया। माता के बार बार बुलाने पर भी बालक नहीं गया। क्रोधित माता ने उसी समय बालक को पीटना शुरू कर दिया  औऱ पूजा का सारा समान उठा कर फेंक दिया। ध्यान से मुक्त होकर बालक चेतना में आया तो उसे अपनी पूजा को नष्ट देखकरबहुत दुख हुआ। अचानक उसकी व्यथा का गहराई से चमत्कार हुआ। भगवान शिव की कृपा से वहां एक सुंदर मंदिर निर्मित हुआ। मंदिर के मध्य में दिव्य शिवलिंग विराजमान था एवं बालक द्वारा सज्जित पूजा यथावत थी। यह सब देख माता भी आश्चर्यचकित हो गई।






rishudiary1
जब राजा चंद्रसेन को इस घटना की जानकारी मिली तो वे भी उस शिवभक्त बालक से मिलने पहुंचे। राजा चंद्रसेन के साथ-साथ अन्य राजा भी वहां पहुंचे। सभी ने राजा चंद्रसेन से अपने अपराध की क्षमा मांगी और सब मिलकर भगवान महाकाल का पूजन-अर्चन करने लगे। तभी वहां रामभक्तश्री हनुमान जी सामने आए और उन्होंने गोप -बालक की गोद में बैठकर सभी राजाओं और उपस्थित जनसमुदाय को संबोधित किया। अर्थात शिव के अतिरिक्त  प्राणियों की कोई गति नहीं है। इस गोप बालक ने अन्यत्र शिव पूजा को मात्र देखकर  ही, बिना किसी मंत्र अथवा विधि-विधान के शिव आराधना कर शिवत्व-सर्वविध, मंगल को प्राप्त किया है। यह शिव का परम श्रेष्ठ भक्त समस्त गोपजनों की कीर्ति बढ़ाने वाला है। इसे लोक में यह अखिल अनंत सुखों को प्राप्त करेगा व मृत्योपरांत मोक्ष को प्राप्त होगा।
rishudiary1





इसी के वंश का आठवां पुरुष महायशस्वी नंद होगा, जिसके पुत्र के रूप में स्वंय नारायण कृष्ण नाम से प्रतिष्ठित होंगे। कहा जाता है भगवान महाकाल तब ही से उज्जयिनी में स्वयं विराजमान है। हमारे प्राचीन ग्रंथों में महाकाल की असीम महिमा का वर्णन मिलता है। महाकाल को वहां का राजा कहा जाता है और उन्हें राजाधिराज देवता भी माना जाता है।

@ImageCredits Navodayatimes

No comments:

Post a Comment

Popular Posts

Popular Posts